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मौर्य वंश चंद्र गुप्त मौर्य maurya vansh ki trick maurya vansh history in hindi maurya dynasty

Published 24 Jul 2020

maurya vansh ki trick maurya vansh history in hindi maurya dynasty in hindi chandra gupta maurya history in hindi मौर्य राजवंश (३२२-१८५ ईसापूर्व) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली राजवंश था। मौर्य राजवंश ने १३७ वर्ष भारत में राज्य किया। इसकी स्थापना का श्रेय चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मन्त्री आचार्य चाणक्य (कौटिल्य) को दिया जाता है। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। यह साम्राज्य पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदानों (आज का बिहार एवं बंगाल) से शुरु हुआ। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज के पटना शहर के पास) थी।[2] चन्द्रगुप्त मौर्य ने ३२२ ईसा पूर्व में इस साम्राज्य की स्थापना की और तेजी से पश्चिम की तरफ़ अपना साम्राज्य का विकास किया। उसने कई छोटे-छोटे क्षेत्रीय राज्यों के आपसी मतभेदों का फायदा उठाया जो सिकन्दर के आक्रमण के बाद पैदा हो गये थे। ३१६ ईसा पूर्व तक मौर्य वंश ने पूरे उत्तरी पश्चिमी भारत पर अधिकार कर लिया था। चक्रवर्ती सम्राट अशोक के राज्य में मौर्य वंश का वृहद स्तर पर विस्तार हुआ। सम्राट अशोक के कारण ही मौर्य साम्राज्य सबसे महान एवं शक्तिशाली बनकर विश्वभर में प्रसिद्ध हुआ। मौर्य शासकों की सूची चंद्रगुप्त मौर्य – 322-298 ईसा पूर्व (24 वर्ष) बिन्दुसार – 298-271 ईसा पूर्व (28 वर्ष) अशोक – 269-232 ईसा पूर्व (37 वर्ष) कुणाल – 232-228 ईसा पूर्व (4 वर्ष) दशरथ –228-224 ईसा पूर्व (4 वर्ष) सम्प्रति – 224-215 ईसा पूर्व (9 वर्ष) शालिसुक –215-202 ईसा पूर्व (13 वर्ष) देववर्मन– 202-195 ईसा पूर्व (7 वर्ष) शतधन्वन् – 195-187 ईसा पूर्व (8 वर्ष) बृहद्रथ 187-185 ईसा पूर्व (2 वर्ष) ३२२ ई. पू. में चंद्र गुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य की सहायता से धनानंद  की हत्या कर मौर्य वंश की नींव डाली थी। चंद्र गुप्त मौर्य ने नन्दो को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। यह साम्राज्य गणतन्त्र व्यवस्था पर राजतन्त्र व्यवस्था की जीत थी। इस कार्य में अर्थशास्त्र नामक पुस्तक द्वारा चाणक्य ने सहयोग किया। विष्णुगुप्त व कौटिल्य उनके अन्य नाम हैं। चन्द्रगुप्त मौर्य (३२२ ई. पू. से २९८ ई. पू.)- चन्द्रगुप्त मौर्य के जन्म वंश के सम्बन्ध में विवाद है। ब्राह्मण, बौद्ध तथा जैन ग्रन्थों में परस्पर विरोधी विवरण मिलता है। विविध प्रमाणों और आलोचनात्मक समीक्षा के बाद यह तर्क निर्धारित होता है कि चन्द्रगुप्त मोरिय वंश का क्षत्रिय था। चन्द्रगुप्त के पिता मोरिय नगर प्रमुख थे। जब वह गर्भ में ही था तब उसके पिता की मृत्यु युद्धभूमि में हो गयी थी। उसका पाटलिपुत्र में जन्म हुआ था तथा एक गोपालक द्वारा पोषित किया गया था। चरावाह तथा शिकारी रूप में ही राजा-गुण होने का पता चाणक्य ने कर लिया था तथा उसे एक हजार में कषार्पण में खरीद लिया। तत्पश्‍चात्‌ तक्षशिला लाकर सभी विद्या में निपुण बनाया। अध्ययन के दौरान ही सम्भवतः चन्द्रगुप्त सिकन्दर से मिला था। ३२३ ई. पू. में सिकन्दर की मृत्यु हो गयी तथा उत्तरी सिंधु घाटी  में प्रमुख यूनानी क्षत्रप फिलिप द्वितीय की हत्या हो गई। /watch/4DxIuNHUIllUI /watch/cHon1mzx1lkxn /watch/EDYuw-zoZNMou /watch/0RP-2wi9INe9- /watch/QY5tGjiGBT3Gt /watch/oXW1vLHgoYyg1 /watch/gNKBQslQmpqQB /watch/U2ArN4od5n1dr /watch/48oSLGZi1VQiS /watch/48oSLGZi1VQiS /watch/kQds5zxP5C6Ps /watch/wQLy8Sl-hgy-y

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